ज्यादा टेंशन लेने से कौन सी बीमारी होती है ?

ज्यादा टेंशन लेने से कौन सी बीमारी होती है, यह जानने से पहले आपको यह समझना होगा कि तनाव (टेंशन) या चिंता (एंग्जायटी) क्या होती है।

लगभग भारत में हर व्यक्ति को कुछ न कुछ तनाव जरूर होता है। लेकिन जब यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह बहुत खतरनाक हो सकती है और इसे बीमारी की श्रेणी में रखा जाता है। लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण आपको बेचैनी, घबराहट और अत्यधिक पसीना आने लगता है।

कभी-कभी, अत्यधिक चिंता करने पर आपको पैनिक अटैक भी आ सकते हैं। इस लेख में, हम आपको यह बताएँगे कि अत्यधिक तनाव लेने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, और साथ ही, हम आपको यह भी बताएंगे कि आप इससे कैसे बच सकते हैं। इससे पहले, हम आपको यह बताएंगे कि यह किन कारणों से होता है। तो चलिए जानते हैं।

चिंता, तनाव या डिप्रेशन किन कारणों से होता है?

चिंता, तनाव, और डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि घर में समस्याएँ, आपके पास पैसे न होना, कोई काम न होना, या जिस काम की आपको इच्छा हो, उसे न कर पाना। इसके अलावा, और भी कई ऐसे कारण हो सकते हैं, जो चिंता या डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं। चिंता और डिप्रेशन के मुख्य कारण निचे लिखे गए है:

1.अनुवांशिक रूप से

यदि आपके परिवार में किसी को चिंता (एंग्जायटी) या डिप्रेशन की समस्या है, तो आपको भी इन समस्याओं का अनुभव होने की संभावना बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि माता-पिता से ये समस्याएं बच्चों में आनुवंशिकी के माध्यम से हो सकती हैं।

जीन हमारे शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनके माध्यम से ही बच्चों को माता-पिता के कई गुण प्राप्त होते हैं। हालांकि, अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा ऐसा कोई विशिष्ट जीन नहीं खोजा गया है जो चिंता या तनाव के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हो। यदि आपके परिवार में किसी को भी चिंता या तनाव की समस्या है, तो आपको भी इन समस्याओं का अनुभव होने की आशंका अधिक हो सकती है।

2. सामाजिक रूप से (कुछ सामाजिक लक्षण चिंता को और अधिक बढ़ा सकते हैं)

चलिए जानते हैं कि समाज का नकारात्मक प्रभाव आपके दिमाग को किस प्रकार से प्रभावित करता है और कौन-कौन से कारण हैं जो आपको अवसाद और चिंता को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।

  • Shyness in Social Situations (सामाजिक स्थितियों में शर्मीलापन): आपमें कुछ कमी हो या आपको कुछ नहीं आता हो, जिसके कारण आप ज्यादा सोचने लगते हैं। ज्यादा सोचने से दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • Oversensitivity to Criticism (आलोचना के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता) : आपको किसी ने कुछ कह दिया हो, तो आप उस बात पर बहुत ही ध्यान देते हैं। उसके बारे में बहुत सोचते हैं और घंटों तक उसी के बारे में सोचते रहते हैं, जो आपके दिमाग पर बुरा प्रभाव डालता है।
  • विवरण पर निर्धारण (fixation on details): छोटी-छोटी बातों पर अत्यधिक ध्यान देना और अपनी छोटी-मोटी गलतियों के बारे में बार-बार सोचकर चिंतित होना।
  • Moral Rigidness (नैतिक कठोरता): यदि आप ऐसा सोचते हैं कि मैं जो कहता हूँ वह बिल्कुल सही है और सभी चीजें मेरे ही हिसाब से होनी चाहिए, तो अगर कोई चीज मेरी इच्छानुसार नहीं होती, तो इस स्थिति में आपको अंजामता या डिप्रेशन हो सकता है।
  • डॉक्टरों ने देखा है कि महिलाओं में एंजायटी डिसऑर्डर या पैनिक डिसऑर्डर जैसी समस्याएँ पुरुषों की तुलना में लगभग दुगनी होती हैं। इसके पीछे का कारण अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है, और इसके साथ ही महिलाओं में Specific Phobia भी देखी जा सकती हैं।
  • यदि आप बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखते, किसी से बातचीत नहीं करते और अकेले रहते हैं, तो आपके दिमाग में नकारात्मक विचार चलने लगती है। यह आपको अपनी पुरानी गलतियों या भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंता करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे आपको एंजायटी डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आपको लोगो से ज्यादा बात करना चाहिए।
  • परिवार में तनाव, अल्कोहल का सेवन और झगड़े बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे उन्हें चिंता और तनाव का अनुभव हो सकता है।
  • आपके स्वास्थ्य के खराब होने से आपको एंजायटी और टेंशन हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आपको डायबिटीज, थायराइड, या अस्थमा जैसी कोई गंभीर समस्या है, तो ऐसे मामले में आपको अत्यधिक चिंता और तनाव हो सकता है।
  • यदि आप तनावपूर्ण कार्य वातावरण में काम करते हैं, फाइनेंशियल समस्या का सामना कर रहे हैं, या नौकरी या प्रेम संबंधों से संबंधित कठिनाइयों का अनुभव कर रहे हैं, तो यह चिंता और तनाव को बढ़ा सकता है।
  • 21 वर्ष की आयु से पहले अत्यधिक तनाव या Sexual Abuse हुआ हो तो यह चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) हो सकता है। PTSD से पीड़ित व्यक्ति को दुखद घटनाओं के सपने आ सकते हैं, जो उनकी स्मृति में गहराई से समाए होते हैं। जब भी ये यादें वापस आती हैं, तो यह चिंता और अवसाद को बढ़ा सकती हैं।

अब जब आप जान चुके हैं कि आपको तनाव किन-किन कारणों से हो सकता है, तो आइए जानते हैं कि अत्यधिक तनाव से कौन-सी बीमारियां और समस्याएं हो सकती हैं।

ज्यादा टेंशन लेने से किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?

लगभग भारत में बहुत से लोग कई कारणों से बहुत ही ज्यादा टेंशन लेते हैं, लेकिन क्या टेंशन लेना आपकी समस्या को कम करता है? नहीं, यह आपकी समस्या को और भी बढ़ा सकता है।

ज्यादा टेंशन लेने से कौन सी बीमारी होती है

हमारा शरीर और हमारा दिमाग दोनों एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं, और हमारे दिमाग में पड़ने वाले बुरे प्रभाव का आसार हमारे शरीर में दिखने लगता हैं। इसलिए, यदि आपके दिमाग पर कोई भी बुरा प्रभाव पड़ता है, तो उसका पूरा असर आपके शरीर पर देखने को मिलता है।

चलिए जानते हैं, ज्यादा टेंशन लेने से किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, और शरीर में क्या-क्या परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

1. बालों का झड़ना

हमारे सिर में हेयर फॉलिकल्स (रोम छिद्र) होते हैं जो बालों को पकड़ कर रखते हैं। जब हम अत्यधिक तनाव लेते हैं, तो ये हेयर फॉलिकल्स निष्क्रिय हो जाते हैं, जिसके कारण वे बालों को ठीक से पकड़ नहीं पाते और तनाव के दौरान बाल झड़ने लगते हैं।

आपने देखा होगा कि जब आप तनाव में होते हैं और कंघी करते हैं, तो ज्यादा बाल झड़ते हैं। पोषण की कमी के कारण, समय के साथ ये बाल कमजोर होने लगते हैं।

अत्यधिक तनाव दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति को कम कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में तनाव के कारण ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती हैं। एलोपेसिया एक ऐसी ही ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें बाल झड़ने लगते हैं।

2.सिर में दर्द होना, शरीर में थर-थराहट होना

डिप्रेशन और चिंता के कारण, हम दिमाग में कई बातों के बारे में अत्यधिक सोचने लगते हैं। हमारा मन उसी में केंद्रित हो जाता है, और अधिक सोचने के कारण सिर में दर्द होने लगता है। कभी-कभी इसका प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है।

3.गुस्सा आना और कम बोलना

कभी-कभी हम किसी चीज के बारे में बहुत ही ज्यादा सोचने लगते हैं, और लगता है कि हम ही सही हैं और दूसरा गलत है, या अपने बारे में किसी से बुरा सुनते हैं, जिससे आपको टेंशन होता है, और इसके कारण आपको गुस्सा बहुत आता है, और आप बहुत कम बात करने लगते हैं।

लेकिन ध्यान दें, जब आप डिप्रेशन या टेंशन में होते हैं, तो आप बात करते रहिए। किसी से बात न करने पर आपके दिमाग में पुरानी यादें घूमने लगती हैं, जिससे आप उसके बारे में और सोचते हैं, और आपका दिमाग और खराब होते हैं।

4.नकारात्मक विचार आना

डिप्रेशन और टेंशन के कारण, आपको बहुत ही नकारात्मक विचार आते हैं, और आपको लगता है कि आप जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएंगे, और कुछ करने से पहले ही हार मान जाते हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आपको सकारात्मक विचार बनाए रखना है।

5.खुद को बेकार समझना

डिप्रेशन और तनाव के कारण, आप दिमाग में बहुत सी बातें सोचने लगते हैं, और दूसरे लोगों से अपनी तुलना करने लगते हैं, और आपको यह लगने लगता है कि आप किसी काम की नहीं हैं और आप अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे।

6.किसी बात पर गौर नहीं करना

डिप्रेशन और तनाव के कारण, आप हर पल पिछले घटी घटनाओं के बारे में दिमाग में सोचने लगते हैं, और आप कभी-कभी इतना सोचने लगते हैं कि बाहर की आवाज़ आपको सुनाई नहीं देती।

यदि आपको कोई दूसरा आपका नाम लेकर बुलाता है, तो आपको दूसरों की बात सुनाई नहीं देती, जो कि बहुत ही खतरनाक होता हैं। इसलिए, यदि आप कभी भी अकेले हो या कुछ काम कर रहे हो, तो किसी से बात करते रहना चाहिए।

7.ज्यादा खाना या कम खाना

ज्यादा टेंशन और चिंता आपके शारीरिक क्रियाओं में बाधा डालते हैं, और आपको बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जिसके कारण आपकी शारीरिक अवस्था में कभी-कभी बदलाव देखने को मिलते हैं। इसके कारण, आपको अधिक नींद या नींद की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

8.कम खाना

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आपके जीवन में बहुत अधिक समस्याएं होती हैं, कोई काम नहीं बनता या शारीरिक पीड़ा होती है, तो आपको अत्यधिक तनाव हो जाता है? इस तनाव के कारण आपको भूख नहीं लगती। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी स्थिति में भी आप पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करें, जो आपको ठीक होने में मदद करेगा।

9.उदास रहना और किसी काम में दिल नहीं लगना

हम कभी-कभी बहुत ही पुरानी बातों को सोचते हैं, और उन बातों को सोचकर या दूसरों के द्वारा कहे गए कटाक्ष को सोचकर बहुत ही ज्यादा टेंशन लेते हैं। इसके कारण हम बहुत ही उदास रहते हैं, और किसी काम में मन ही नहीं लगता। लेकिन आपको ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। आपको अपना काम करते रहना है।

10.मौत या खुदकशी के ख्याल आना

आप जो सोचते हैं, वह नहीं होता। इससे आप अपने जीवन में बहुत ही ज्यादा उदास रहते हैं। आपके द्वारा सोची गई कोई भी चीज़ नहीं होती। इस स्थिति में जब आप अकेले होते हैं, तो आपके मन में बहुत ही बुरे ख्याल आने लगते हैं, जिसमें से एक है खुदकुशी का ख्याल आना।

लेकिन ऐसी स्थिति में आपको अकेला नहीं रहना चाहिए। आपको हमेशा किसी के साथ रहना चाहिए और हमेशा बात करते रहना चाहिए। यदि आप ज्यादा ही अकेलापन महसूस करते हैं, तो आप सोशल मीडिया का सहारा भी ले सकते हैं।

11.सांस लेने में समस्या

आपने देखा होगा कि कभी-कभी अधिक चिंता और टेंशन के कारण हमारी सांस फूलने लगती है, जिससे बहुत से समस्याएं देखने को मिलती हैं। इससे बचने के लिए, जब भी आप कुछ गंभीर बातों के बारे में सोच रहे हैं, क्या अकेले हो, तो आप किसी से बातचीत करें, और यदि सांस की समस्या हो, तो आप गहरी लंबी सांस ले सकते हैं।

12. हार्मोन इंबैलेंस

हमारे दिमाग में बहुत सी ग्रंथियां होती हैं, जैसे कि पीयूष ग्रंथि हाइपोथैलेमस, जिसमें हार्मोन बनते हैं और वहां से रिलीज किए जाते हैं।

लेकिन जब आप अधिक बातें सोचते हैं और टेंशन लेते हैं, तो आपके दिमाग में स्थित इन अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण यह अपना कार्य अच्छे प्रकार से नहीं कर पाते और हार्मोन को उत्पादन अच्छे से नहीं होता। जिसके कारण आपके शरीर में हार्मोन इंबैलेंस होने की संभावना बढ़ सकती है।

तनाव या टेंशन दूर करने के लिए क्या करें

यदि आप तनाव या टेंशन दूर करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं। किसी बात के बारे में ज्यादा ना सोचें, कभी भी अकेले ना रहें, इसके साथ आप नीचे लिखे कई बातों का ध्यान रख सकते हैं:

  • गहरी और लंबी सांसें लेना।
  • गहरी सांसें लेनी चाहिए।
  • सुबह 10 से 15 मिनट अनुलोम विलोम, भ्रामरी या उज्जैन प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
  • सिर की मालिश करनी चाहिए।

यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो कृपया टिप्पणी करें और इसे अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करें। यदि आपको इसमें कोई कमी महसूस हो, तो आप हमें हमारे ईमेल पते पर इसके बारे में बता सकते हैं। यह लेख केवल सामान्य ज्ञान के लिए है।

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