गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा | Ayurvedic Gall Bladder Stone Medicine in Hindi | 2024

गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा

गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा: गाल ब्लैडर, जिसे आम भाषा में पित्ताशय भी कहते है। यह पेट के निचले भाग में, लिवर के नीचे पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य पित्त को इकट्ठा करना है जो लिवर द्वारा उत्पन्न होता है और उसे जरुरी समय पर पित्ताशय पित्त को पित्त नलिकाओं में छोड़ देता है और पाचन में सहायता करता हैं।

कभी-कभी Gall Bladder में पथरी या Gall Bladder Stone उत्पन हो जाते हैं, जो कि Calcium, Cholesterol और अन्य पदार्थों के रूप में विकसित हो सकते हैं। यदि ये Stone ग्रंथि के मुख्य नालों में फंस जाते हैं, तो इससे पीठ में दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। myupchar Tips के इस लेख में आज हम गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा और गाल ब्लैडर स्टोन के लक्षण  के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देगें।

गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा | गाल ब्लैडर स्टोन की आयुर्वेदिक दवा

गाल ब्लैडर स्टोन के लिए आयुर्वेद में कुछ दवाएं प्रयोग की जाती हैं जो इस समस्या को कम करने में मदद कर सकती हैं। यहां कुछ आयुर्वेदिक दवाएं हैं जो सामान्यतः गाल ब्लैडर स्टोन की समस्या को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।

कुल्थी की दाल

Gall Bladder Stone के लिए कुल्थी की दाल का उपयोग आयुर्वेदा में किया जाता है। कुल्थी की दाल में विशेष प्रकार के एन्जाइम और एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते है जो गालब्लैडर स्टोन को कम में मददगार हो सकते हैं और पथरी को जड़ से ठीक करने में मदद कर सकते हैं। यह एक आयुर्वेदिक उपचार है, हालांकि, इसका सेवन करने से पहले आपको अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

गुडहल का पाउडर

Gall Bladder Stone के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में गुडहल का पाउडर बताया जाता है। गुडहल के पाउडर में विशेष प्रकार के रसायनिक तत्व मौजूद होते है, यह Gall Bladder Stone को छोटा करने और पथरी (Bladder Stone) को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, गुडहल पाउडर का उपयोग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

अश्मरीहर क्वाथ | Ashmarihar Kwath Powder

अश्मरीहर क्वाथ जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी एक आयुर्वेदिक दवा है जो पित्ताशय की पथरी को गलाकर तोड़ने में मदद करता है। अश्मरीहर क्वाथ में मुख्य सामग्री Gokhru (Tribulus terrestris), Kulathdaal, (Dolichosbiflorus), Varun (Crataevanurvala), Punarnava (Boerhaavia diffusa), Pashanbhed (Saxifragaligulata), Methi (Trigonella foenum- graecum) होते हैं, अश्मरीहर क्वाथ में मूत्रवर्धक और लिथोलिटिक गुण पाए जाते हैं।

इसका मतलब है कि वे मूत्र प्रवाह को बढ़ाने और मूत्र पथ में पथरी को घोलने में मदद करते हैं। अश्मरीहर क्वाथ पित्ताशय की पथरी से जुड़े दर्द और सूजन से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।

पित्ताशय की पथरी के लिए इसके लाभों के अलावा, अश्मरीहर क्वाथ का उपयोग गुर्दे की पथरी, मूत्र पथ के संक्रमण और अन्य मूत्र समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है जो आपके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने में मदद करता है।

शंख वटी | Shankavati

शंकावटी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग सदियों से पित्ताशय की पथरी सहित विभिन्न रोगो के इलाज के लिए किया जाता रहा है। यह कुटकी रूट (पिक्रोरिजा कुरोआ) पौधे की सूखी जड़ से बनाया जाता है, और यह हिमालय में पाया जाता है। शंकावटी का स्वाद कड़वा होता है, क्योकि पिक्रोरहिज़िन यौगिक अधिक मात्रा में पाया है। शंकावटी में कोलेरेटिक और कोलेकिनेटिक गुण पाए गए हैं, जो पित्त के उत्पादन और प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। पित्त एक पाचक तरल पदार्थ है जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन में मौजूद वसा को तोड़ने में मदद करता है। यह शरीर से कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने के लिए भी जरूरी है। यह पित्ताशय की पथरी को तोड़ने में मदद करता है।

पित्ताशय की पथरी के लिए इसके लाभों के अलावा, शंकावटी का उपयोग पीलिया, यकृत रोग और अपच सहित कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक उपचार है जो आपके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

सूतशेखर रस | Sootasekar Ras

सूतसेकर रस जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी एक आयुर्वेदिक दवा है जो पित्ताशय की पथरी को घोलकर तोड़ने में प्रभावी साबित हुई है। सुतासेकर रस में मुख्य रूप से Black Pepper, Ginger, Cardamom, Swarna Bhasma, Rajat bhasma, Shankh Bhasma, Tamra bhasma पाया जाता हैं, इन सभी में लिथोलिटिक गुण होते हैं। जो पित्ताशय में पथरी को तोड़ने में मदद करते हैं। सूतसेकर रस पित्ताशय की पथरी से जुड़े दर्द और सूजन से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।

पित्ताशय की पथरी के लिए इसके लाभों के अलावा, सुतासेकर रस का उपयोग गुर्दे की पथरी, मूत्र पथ के संक्रमण और अन्य मूत्र समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक उपचार है जो आपके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

प्रवाल पंचामृत रस | Prawal Panchamrit Ras

प्रवाल पंचामृत रस पांच जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी एक आयुर्वेदिक दवा है प्रवल, हरीतकी, बिभीतकी, आमलकी और शुद्ध गुग्गुल। इन जड़ी-बूटियों को आयुर्वेद में पित्ताशय की पथरी को घोलने और तोड़ने में प्रभावी माना गया है। प्रवाल पंचामृत रस पित्ताशय की पथरी से जुड़े दर्द और सूजन से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।

पित्ताशय की पथरी के लिए इसके लाभों के अलावा, प्रवाल पंचामृत रस का उपयोग यकृत रोग, पीलिया और अपच सहित कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है जो आपके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने में मदद करता है।

हिंग्वाष्टक चूर्ण | Hingwaashtak Choorna

हिंगावष्टक चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो पित्ताशय की पथरी ठीक करने में उपयोगी होती है। यह दवा पित्त के स्राव को बढ़ाती है और पित्त की पथरी को तोड़ने में मदद करती है। हिंगावष्टक चूर्ण पित्त की पथरी के कारण होने वाले दर्द और सूजन को भी कम करती है।

हिंगावष्टक चूर्ण को बनाने के लिए आठ जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है:-

  • अदरक
  • काली मिर्च
  • धनिया
  • जीरा
  • हींग
  • दालचीनी
  • लहसुन
  • मेथी

इसका सेवन कैसे करे

हिंगावष्टक चूर्ण को पानी के साथ या दूध के साथ लिया जा सकता है। इसे दिन में दो बार लेने की सलाह दी जाती है।

अवित्तिकर चूर्ण | Avipattikar Choorna

अविपत्तिकर चूर्ण जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे पित्ताशय की पथरी को ठीक करने में प्रभावी माना जाता है। अविपत्तिकर चूर्ण में मुख्य रूप से हरीतकी, बिभीतकी, आमलकी, पिप्पली और गुग्गुलु पाए जाते हैं। इन जड़ी-बूटियों में कोलेरेटिक और कोलेकिनेटिक गुण पाए गए हैं, जिसका अर्थ है कि वे पित्त के उत्पादन और प्रवाह को बढ़ाने में मदद करते हैं। पित्त एक पाचक तरल पदार्थ है जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन में मौजूद वसा को तोड़ने में मदद करता है। यह शरीर से कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने के लिए भी जरूरी है।

पित्ताशय की पथरी के लिए इसके लाभों के अलावा, अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग पीलिया, यकृत रोग और अपच सहित कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है जो आपके समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

त्रिफला | Triphala

त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। हरीतकी, बिभीतकी और अमलाकी। इन जड़ी-बूटियों में कोलेरेटिक और कोलेकिनेटिक गुण पाए गए हैं, जो पित्त के उत्पादन और प्रवाह को बढ़ाने में मदद करते हैं। पित्त एक पाचक तरल पदार्थ है जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन में मौजूद वसा को तोड़ने में मदद करता है। यह शरीर से कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने के लिए भी जरूरी है। त्रिफला पित्ताशय की पथरी से जुड़े दर्द और सूजन से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।

गोखरू | Gokhru

गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो पित्ताशय की पथरी को घोलने और तोड़ने में प्रभावी साबित हुई है। यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, जिसका अर्थ है कि यह मूत्र प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। यह पित्ताशय से पथरी को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। गोखरू पित्ताशय की पथरी से जुड़ी सूजन और दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है।

कलौंजी | Kalonji

कलौंजी, जिसे काला जीरा भी कहा जाता है, एक जड़ी बूटी है जिसमें सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुण पित्ताशय की पथरी से जुड़ी सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। कलौंजी पित्ताशय में पथरी को घोलने और तोड़ने में भी मदद कर सकती है।

हल्दी | Turmeric

हल्दी एक मसाला है जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुण पित्ताशय की पथरी से जुड़ी सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। हल्दी पित्ताशय में पथरी को घोलने और तोड़ने में भी मदद कर सकती है।

गाल ब्लैडर स्टोन के लक्षण | Gallbladder Stone Symptoms

गाल ब्लैडर स्टोन के होने पर निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं जैसे:-

  • पेट के उपरी भाग में दर्द:- Gallbladder Stone होने पर आपको पेट के ऊपरी भाग\ में दर्द महसूस हो सकता है। यह दर्द अक्सर दाहिने भाग में होता है और यह  भोजन करते समय या जब आपकी पाचन क्रिया हो रही होती हैं तब होता है।
  • पीलिया (जॉन्डिस):- Gallbladder Stone के कुछ मामलों में, स्टोन आपके Gallbladder को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे आपको पीलिया के लक्षण दिख सकते हैं। यह रक्त में पीले रंग के बिलीरुबिन के निर्माण के कारण होता है। इसमें आपकी आंखों और त्वचा में पीले रंग का होना शामिल हो सकता है।
  • पेट में ब्लोटिंग:- Gallbladder Stone के कारण आपको पेट में ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। इसमें पेट में सूजन और भारीपन का अनुभव होता है। जिससे आपको पाचन सम्बंधित समस्या होती है।
  • पाचन संबंधी समस्याएं:- Gallbladder Stone से प्रभावित होने पर आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जिससे आपको  उलटी, पेट में गैस, पाचन के समय पेट में दर्द, खट्टी डकारें जैसे लक्षण देखने को मिलते है।

अगर आपको ऐसे लक्षणों का अनुभव होता है, तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते है।

गाल ब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी) में क्या नहीं खाना चाहिए

आहार के बारे में तो हम सभी लोग जानते हैं क्या हम आहार का सेवन निश्चित और सयंमित रूप से करते है। आपका जवाब होगा नहीं। आयुर्वेदा के अनुसार जितने भी रोग हमारे शरीर में होते है उसमे से ज्यादातर रोग हमारे पाचन तंत्र के ख़राब होने से ही होते और हमारे पाचन तंत्र को आहार प्रभावित करते है।

Gall Bladder Stone में दूध का सेवन न करे

दूध में अधिक मात्रा में वसा पाया जाता है इस वसा को पचाने का कार्य पित्त से निकली हुई पित्त रस करती है। जब हम दूध का अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं तो हमारे शरीर में वसा का स्तर बढ़ जाता है इसे पचाने के लिए पित्ताशय को अधिक कार्य करना पड़ता है जिससे पित्ताशय पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

Gall Bladder Stone में दही का सेवन न करे

दही दूध का ही उत्पाद है जिसमे अधिक मात्रा में वासा पाया जाता है जो पित्त पथरी बनने के खतरे को बढ़ा सकता है। क्योकि वासा पित्ताशय में जमा होते जाता है जिससे आपको पथरी होने की सम्भावना बानी रहती है। इसके अतिरिक्त दही पित्ताशय के संकुचन को भी ट्रिगर कर सकता है जिससे पेट में भयंकर दर्द और असुविधा हो सकती है। इसलिए यदि आपको ऐसे लक्षण दिखे या महसूस हो तो आप दही का सेवन न करे।

पित्त की थैली निकलवाने के बाद आपको क्या नुकसान हो सकता है?

पित्ताशय एक छोटा, नाशपाती के आकार का अंग है जो पित्त को संग्रहीत करता है, एक तरल पदार्थ जो वसा के पाचन में मदद करता है। पित्ताशय को हटाने की प्रक्रिया को कोलेसिस्टेक्टोमी कहा जाता है।

कोलेसिस्टेक्टोमी एक सामान्य सर्जरी है जो हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों पर की जाती है। यह आम तौर पर तब किया जाता है जब पित्ताशय में पथरी बन जाती है, जो दर्द, सूजन और अन्य समस्याएं पैदा कर सकती है।

पित्ताशय को हटा दिए जाने के बाद, शरीर वसा के पाचन के लिए पित्त का उत्पादन जारी रखता है। हालाँकि, पित्त अब संग्रहीत नहीं होता है, और यह सीधे छोटी आंत में प्रवाहित होता है।

पित्ताशय की थैली को हटाने के बाद कुछ संभावित नुकसान हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:-

  • दस्त:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह सबसे आम दुष्प्रभाव है। यह इस तथ्य के कारण होता है कि पित्त अब पित्ताशय में जमा नहीं होता है, और यह छोटी आंत में अधिक तेज़ी से प्रवाहित होता है।
  • गैस:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह एक और आम दुष्प्रभाव है। यह दस्त के समान ही कारण से होता है।
  • मतली और उल्टी:- ये लक्षण कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद हो सकते हैं, लेकिन ये आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं।
  • अपच:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह एक कम आम दुष्प्रभाव है। यह इस तथ्य के कारण होता है कि पित्त पित्ताशय में संग्रहीत नहीं होता है, और यह सही मात्रा में जारी नहीं हो पाता है।
  • सूजन:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है। यह सर्जरी के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
  • रक्तस्राव:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह भी एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है। यह आमतौर पर पित्त नली में दरार के कारण होता है।
  • संक्रमण:- कोलेसिस्टेक्टोमी के बाद यह एक बहुत ही दुर्लभ दुष्प्रभाव है। यह आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है जो चीरा स्थल के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।

Resources:-  A lot of hard work has been done in writing this article, each and every information has been gathered with accuracy. The source of this article is Ayurveda, Patanjali Research Center, Ayurvedic Books, Wikipedia etc.

गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा से सम्बंधित पूछे जाने वाले FAQ

Q1.बिना सर्जरी के गॉल ब्लैडर स्टोन कैसे निकाले?

ऐसे खाद्य पदार्थो का सेवन करे जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि का सेवन प्रतिदिन करे इन खाद्य पदार्थो से विटामिन सी की पूर्ति हमारे शरीर में होती है और यह विटामिन सी कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़कर बाहर निकालता है।

Q2.पित्त पथरी के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है?

पित्ताशय की पथरी को निकालने में नींबू फायदेमंद हो सकता है। नींबू लीवर में कोलस्ट्रोल को बनने से रोकता है। प्रतिदिन खाली पेट चार नींबू का रस का सेवन लगभग एक सप्ताह तक करें जिससे आपकी पथरी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है।

Q3.कौन सी होम्योपैथिक दवा पित्त पथरी को घोलती है?

बर्बरिस वल्गरिस मदर टिंक्चर और सारसा पेरिल्ला मदर टिंक्चर होम्योपैथिक दवा पित्त पथरी को घोलने में मदद कर सकती है। लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते है इसी लिए अधिकतर लोगो का मानना है की इनका सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।

Q4.क्या गॉल ब्लैडर स्टोन को बिना सर्जरी के हटाया जा सकता है?

गॉल ब्लैडर स्टोन को बिना सर्जरी के हटाया जा सकता है। जब वह शुरुवाती अवश्था में होता है लेकिन जब यह बढ़ गया है और आप ऑप्रेशन नहीं करना चाहते तो आप डॉक्टर से बोले की उन्हें कम से कम 2 हप्तो का समय दे और बाबा रामदेव द्वारा बताये गए योग का अभ्यास करे आपकी पथरी बिलकुल ही ख़त्म हो जाएगी।


निष्कर्ष:- Gall Bladder Stone को आसानी से ठीक किया जा सकता है बशर्ते आप अच्छे भोज्य पदार्थो का सेवन करे और इसके साथ ही नियमित योगाभ्यास करे।



Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url